कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम के बीच सैकड़ों हेक्टेयर खेतों में केला फसल पक चुकी है। 4 से 5 दिन में कटाई शुरू नहीं की तो केला पेड़ों से गिरकर सड़ जाएगा। कोरोनावायरस से बचाव के मद्देनजर व्यापारियों के सामूहिक रूप से मंडी में आने पर रोक लगा दी गई है। 20 मार्च से सार्वजनिक रूप से केला नीलामी बंद हो गई। इसके बाद से इक्का-दुक्का वाहनों में ही केला निर्यात हो पाया है।
कोरोना संक्रमण के फैलने के बाद पिछले 6 दिन से केला फसल का निर्यात ठप पड़ा है। सप्ताहभर पहले तक रोजाना 30 से 40 वाहन केला नीलाम हो रहा था। इतनी ही संख्या में अन्य शहरों में भी निर्यात हो रहा था। कुछ किसानों ने चैत्र नवरात्रि के लिए केला फसल लगाई थी। उनकी फसल अब तैयार होने लगी है। रोजाना करीब 40 से ज्यादा वाहन का केला पक रहा है लेकिन लॉकडाउन के कारण किसान इसे निकाल नहीं पा रहे हैं। किसानों ने कहा- चार-पांच दिन में केला निर्यात शुरू नहीं हुआ तो यह पूरी तरह खराब हो जाएगा। इससे करीब 200 से ज्यादा किसानों को दो से तीन करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ेगा।
रोज हो रहा 50 लाख तक का नुकसान
व्यापारी रामनारायण शर्मा ने बताया- पहले रोज 30 से 50 वाहन केला निर्यात हो रहा था लेकिन सब बंद होने से रोज किसान व व्यापारियों का 50 लाख रु. तक का नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति शाहपुर क्षेत्र में है। क्योंकि केला फसल कटने के बाद सप्ताहभर से ज्यादा सुरक्षित नहीं रहती। ऐसे में फसल खराब होगी। बंभाड़ा के वसंतराव चौधरी ने बताया मेरे खेत में 7 हजार पौधों पर केला पककर तैयार है। यह 2 ट्रक जितना माल है। निर्यात नहीं हुआ तो कौड़ियों के दाम बेचना पड़ेगा।